योजना का मुख्य उदद्ेश्य राज्य में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड/आयोग द्वारा प्रमाणित खादी की संस्थाओं को, जो आर्थिक एवं संस्थागत रूप से कमजोर है तथा अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पा रही है, ऐसी संस्थाओं के उत्थान हेतु उनके उत्पादन केन्द्रों के सुदृढीकरण तकनीकी विकास, डिजायन विकास में सहायता दिया जाना है। योजना का प्रारम्भ सूक्ष्म, लद्यु एवं मध्यम उद्यम अनुभाग के शासनादेश संख्या-934(1)/VII-2-16/210-एम0एस0एम0ई0/2015 दिनांक 30.06.2016 के द्वारा किया गया है।
पात्रता
योजनान्तर्गत खादी और ग्रामोद्योग आयोग/बोर्ड द्वारा प्रमाणित खादी संस्थायें जो निर्धारित मानको के अन्तर्गत अच्छादित हों किन्तु परिस्थिति के कारण अपने उत्पादन कार्य करने में सक्षम नहीं हो पा रही हों अथवा वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण बन्दी के कगार पर हों, ऐसी विषम परिस्थिति जिसके कारण संस्था से जुड़े कतकरों/बुनकरों को रोजगार का संकट उत्पन्न हो रहा है, उन्हें उक्त योजना का लाभ अनुमन्य कराया जायेगा। यह भी आवश्यक हो कि संस्था द्वारा खादी से निर्मित हाथ कता, हाथ बुना वस्त्र खादी मानक के अनुरूप तैयार किया जा रहा हो। संस्था के वर्तमान के उत्पादन कार्य में धनराशि की वास्तविक आवश्यकता तथा सहायता हेतु सम्भवित अन्य कोई स्रोत न होना।
चयन की प्रक्रिया -
संस्था का चयन गठित समिति के माध्यम से किया जायेगा।
सहायता धनराशि का परिसीमन -
संस्था के व्यवसाय उत्थान के दृष्टिगत् पात्र संस्था के वार्षिक उत्पादन का 10 प्रतिशत् जिसकी सीमा अधिकतम रू0 5.00 लाख (रू0 पाॅच लाख) मात्र होगी तक की सहायता प्रदान की जायेगी। यह सहायता संस्था को एक बार देय होगी। संस्था को स्वीकृत सहायता धनराशि का व्यय नियमानुसार/मानकवार नहीं करती है तो स्वीकृत धनराशि का एकमुश्त वसूल करने की कार्यवाही का प्राविधान है। वर्षान्तर्गत अधिकतम 05 संस्थाओं को उक्त योजना का लाभ दिये जाने का प्राविधान है।